पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६४६

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समूएन १७। और अबिसलम ने हूसी से कहा कि क्या अपने मित्र पर यही अनुग्रह किया तू अपने मित्र के साथ क्यों न गया ॥ १८। हमी ने अबिमलुम से कहा कि नहीं परंभु जिसे परमेश्वर और ये लोग और सारे इसराएल चुनें मैं उसी का हूं और उन के साथ रहूंगा। १४। और फिर किम की सेवा करूं यदि उसको बटे की नहीं तो जैसे मैं ने आप के पिता के सन्मुख सेवा किई है वैसा ही अाप के सन्मुख हंगा॥ २०। तब अबिसलुम ने अखिनुफफल से कहा कि मंब देखा कि हम क्या करें ॥ २१ । नब अखित फ्फल ने अविमलुम से कहा कि अपने पिता की दासियों के पाम जाइये जिन्हें बुह घर की रक्षा को छोड़ गया है और सारे दूसराएल मुनेंगे कि आप अपने पिता से घिनित हैं तब आप के सारे साथियों के हाथ दृढ़ होगे । २२। सो उन्हों ने कोठ की छत पर अबिसलुम के लिये तंबू खड़ा करकाया और अबिसलुम सारे इमराएल की दृष्टि में अपने पिता की दामियों के पाम गया। ॥ २३ । और अखिल फ्फल का मंत्र जो उन दिनों में वुह देता था ऐसा था जैसा कि कोई ईश्वर के बचन से बझता था अखिनुफ्फल का समस्त मंत्र दाऊद और अविसलुम के विषय में ऐसा ही था। १७ सतरहवा पच। पर अखितुफ्फल ने अबिसलम से यह भी कहा कि मुझे बारह सहन । पुरुष चुन लेने दीजिये और मैं उठके इसी रात दाऊद का पीछा करूंगा॥ २। और थका और दुर्बल होते हुए मैं उस पर जा पड़ेगा और उसे डराऊंगा और उस के साथ के सारे लोग भाग जायेंगे और केवल राजाही को मार लेऊगा। ३। और मैं सब लोगों को आप को और फेर लाऊंगा और जब उसे छोड़ जिसे आप खाजते हैं सब फिर आए तो सब कुशल से रहेंगे। ४ । और वुह कहना अबिसलुम और इसराएल के समस्त प्राचीन की दृष्टि में अच्छा लगा ॥ ५। तब अबिलम ने कहा कि हूमौ छरकी को भी बुला और उस के मुंह में जो है सो भी सुनें ॥ ६ । और जब इसी अबिसलम पास पहुंचा तब अबिसलुम यह कहके बोला कि अदितुफ्फल ने यों कहा है उस के बचन के समान हम ओ