पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६६६

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राजयों को पहिलो पुस्तक जो राजाओं की तोसरी पुस्तक कहाती है। पहिला पञ्चे। अकादाय परंतु बुहन गरमाता था। ब दाऊद राजा दिनी और पुरनिया हुआ और उन्हें ने उसे २। इस लिये उस के सेवकों ने उसे कहा कि मेरे प्रभु राजा के लिये एक कन्या ढूंढौ जाय जिस ने Jह राजा के आगे खड़ी रहे और उस के लिये सेविका होवे और यह आप की गाद में पडौ रहे जिस ने मेरा प्रभु राजा गरमा जाय॥ ३। सो उन्हों ने इसराएल के समस्त सिवानों में एक मुंदरी कन्या ढूंदो और शुनामी अबिए ग को पाया और उसे राजा पास लाये। ४। और वह कन्या अति रूपवती थी और राजा की सेवा और उस की रहल करतौ थी परंतु राजा उसी अज्ञान रहा ॥ ५। तब जोन के बेट अनियाह ने यह कहके श्राप को बढ़ाया कि मैं राज्य करूंगा और अपने लिये रथ और घोड़चढ़े और पचास मनुष्य अपने आगे आगे दौड़ने को सिद्ध किये ।। है । और उस के बाप ने उसे यह कहके कधी उदास न किया कि तू ने ऐसा क्यों किया और घुह भी बहुत सुंदर था और उस की मा से अधि. मलुम के पौके जनो थी। ७। और वुह जरूयाह के बेटे यूअम चौर अविवार याजक से पतचीत करता था और यह दोनों श्रदूनियाह के पौछे सहायता करते थे। ८। परंतु सटूक याजक और यहूयदः का