पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

राजावली अपने मेवकों के ढूंढ़ने को जअत में अकीम पास गया और जअत से अपने सेवकों को ले श्राया। ४९। यह संदेश मुलेमान को पहुंचा कि शनीय यरूसलम से जअत को गया था और फिर आया। ४२। तब राजा ने शमीय को बुला भेजा और उसे कहा कि क्या मैं ने तुझे परमेश्वर की किरिया न दिलाई थी और तुझ से वाचा लेके न कहा था कि तू निश्चय जानिया कि जिम दिन तू बाहर जायगा या कहौं फिरेगा तू अवश्य मारा जायगा और तू ने मुझे कहा था कि यह बचन जो मैं ने सुना उत्तम है। ४३ 1 से तूने परमेश्वर की किरिया को और उस प्राज्ञा को जो मैं ने तुझे किई क्यों नहीं माना। ४। फिर राजा ने शमौय से कहा कित उन मव दुष्टता को जानता है जो तू ने मेरे पिता दाऊद से किई जिन से तेरा मन जानकार है से परमेश्वर तेरौ दुष्टता को तेरे ही सिर पर पलटेगा। ४५। और सुलेमान राजा भाग्यवान होगा और दाजद का मिहामन परमेश्वर के आगे मबंदा स्थिर रहेगा। ४६ । सेो राजा ने सहयदः के बेटे बिनायाह को श्राज्ञा किई और उस ने बाहर जाके उस पर लपक के उसे मार डाला तब राज्य सुलेमान के हाथ में स्थिर हुअा।। ३ तीसरा पन्चे ॥ पर सुलेमान ने मिस के राजा फिरजन से नाता किया और फिरजन की कन्या को व्याहा और अपने भवन और परमेश्वर के मंदिर और यरूमन्नम की भौन चारों और बनाके समान करने ले दाकद के २। केवल उस समय लो लोग ऊंचे स्थानों में बलिदान चढ़ाने थे इम कारण कि उस दिन तो कोई मंदिर परमेश्रर के नाम के लिये बनाया न गया था॥ ३। और सुलेमान परमेम्बर से प्रेम करके अपने पिता के बिधिन पर चलता था केवल ऊंचे स्थानों पर बलिदान चढ़ाता था और धूप जलाता था । वलिदान चढ़ाने को राजा जिवअन को गया क्योंकि महा ऊंचा स्थान वहीं था और उस वेदी पर सुलेमान ने होम के सहस्र बलिदान चढ़ाये ॥ ५। जिबअन में परमेश्रर ने रात को सुलेमान को खप्न में दर्शन दिया और ईश्वर ने कहा कि मांग मैं तुझे क्या देऊ ॥ ६ । तव सुलेमान ने ओ नगर में लाया। ४। और