पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६७८

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राजावली [४ पन्न चोखा पिसान और माठ पैमानः प्राटा॥ २३ । और दम मोटे बेल और चराई के बौम बैल एक सो भेड़ें और उसमे अधिक चिकारे और हरिण और काले हरिण और मोटे मोटे पंछी को छोड़ के॥ २४ ॥ क्योंकि वह नदी के इस पार निफसह से ले के गअज्ज लेो उन सारे राजाओं पर जो समुद्र की इमौ और थे राज्य करता था और चौदिमा से मेल रखता था। २५ । और यहूदाह और इसराएल हर एक पुरुष अपने अपने दाख और अपने गूलर के पेड़ तले दान से लेके बिअरमबः ला मुले. मान के जीवन भर कुशल से रहता था॥ २६ । और सुलेमान के रथ के लिये चालीस सहन घाड़शाला थौं और बारह सहन घोड़ चढ़े ॥ और उन बारह प्रधानों में से हर एक जन अपने अपने मास में सुलेमान राजा के लिये और उन सब के लिये जो मुलेमान राजा के भोजन में आते थे भोजन सिद्ध करता था उन को किसी बात की धरती न थौ।। २८ । और घोड़ों और चालाक पशुन के लिये जव और पुअाल भी हर एक जन अाजा के समान उसी स्थान में लाना था। २६ । और ईश्वर ने सुलेमान को अत्यंत बुद्धि और ज्ञान और मन का फैलावा समुद्र के तीर को बालू की नाई, दिया था॥ ३०। और सुलेमान की बुद्धि सारे पूर्वियों की बुद्धि से और मिस्त्रियों की सारी बुद्धि से श्रेष्ठ श्री ॥ ३९ ॥ क्योंकि वह इशराको चैतान से और हैमान से और खलकल से और दरअ से जो महूल के बेटे थे और ममस्त मनुष्य से अधिक बुद्धिमान था और उम को कौनि चारों ओर के समस्त जातिगणों में फैल गई यौ॥ ३२ । और उस ने तीन सहस्र दृष्टांत कहा और उस के गीत एक सहन और पांच थे॥ ३३। और उस अरज वृक्ष से लेके जो लुबनान में है उम जूफा लो जो भौतों पर जगती है उम ने सब वृक्षों का वर्णन किया और पशुन और पच्चियों और रंगवैयों और मछलियों के विषय में कहा । ३४ । और सारे लोगों में से और पृयिवों के समस्त राजाओ से जिन्हों ने उस की बुद्धि का संदेश पाया था सुलेमान को बुद्धि सुन्ने के श्राने थे।