पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६९३

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को १ पुस्तक। रोती से हटागे अथवा तुम अथवा तुम्हारे बंश मेरी आझायों और विधिन को जो मैं ने तुम्हारे आग रकखों पालन न करोगे परंतु जाके उपरी देवों की सेवा और दंडवत करोगे॥ ७। तब में इसराएल को इस देश से जा मैं ने उन्हें दिया है उखाड़ डालंगा और इस घर को जिसे मैं ने अपने नाम के लिये पवित्र किया है अपनी दृष्टि से दूर करूंगा और इसराएल एक कहावत और कहाना सारे लोगों में होगा। ८। और हर एक पथिक इस महत मंदिर से विचित होके फुफकारी मारके कहेगा कि परमेश्वर ने किस कारण इस दश से और इस घर से ऐसा किया है । तब बे उत्तर देंगे इस कारण कि उन्हों ने परमेम्बर अपने ईश्वर को छोड़ दिया जो उन के पितरों को मिल से निकाल लाया और उपरी दवा का ग्रहण किया और उन को दंडवत और सेवा किई है इस लिये परमेश्वर ने उन पर ये सब बुराइयां लाया ॥ १० । और यो हुआ कि बीस बरस के अंत में जब सुलेमान दोनों घरों को अधात् परमेश्वर का घर और राजा का भवन बना चका ॥ ११ । दर के राजा होराम ने सुलेमान की समस्त इच्छा के समान उसे श्रारज रक्ष और देवदारु वृक्ष और सोना पहुं- चाया था तब मुलेमान राजा ने हीराम को जलील के देश में बीस नगर दिये ॥ ५२। और हीराम स्तर से उन नगरों को जो सुलेमान ने उसे दिये घे देखने को आया और वे मगर उस को दृष्टि में ठोक न थे। १३। और उस ने उसे कहा कि हे भाई कोसे नगर हैं जो श्राप ने मुझे दिय है और उस ने उन का नाम कबूल देश रक्खा ॥ १.४ । और हीराम ने छ: कोरी तोड़े सोने राजा कने भेजे ॥ १५ । और सुलेमान राजा के कर ठहराने का यह कारण था कि परमेश्वर के घर और अपने भवन और मिखा और यरूसलम की मौत और हसर और मजिहो और १६ । निन का राजा फिरजन चढ़ गया था और जजर को लेके भाग से फेंक दिया और उम नगर के बासी कननियों को घात किया और अपनी बेटी को सुलेमान की पत्नी होने के लिये उसे दिया ॥ १७। इस लिये सुलेमान ने जजर और नीचे के बैंकहरून को बनाया ॥ १८। और देश के बन से बालात और तह मूर को । १६ । और सुलेनाम के समस्त भंडार के नगर और उस के रथों के नगर जज़र बनावे॥