पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७७

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को पुस्तक । ॥ देखिये आप का सेवक यअक व हमारे पीक आता है क्योंकि उस ने कहा हैं कि मैं उस भेट से जो मुझ से आगे जानी है उस्मे मिलाप कर लेऊंगा तब उस का मुंह देखूगा क्या जाने वुह मुभी ग्रहण करे॥ २१ । सेो वुह भेट उस के आगे आगे पार गई और धुह आप उस रात जथा में टिका । २२। और उसी रात उठा और अपनी दो पत्नियों और दो सहेलियां और ग्यारह बेटों को ले के थाह थबूक से पार उतरा ॥ २३ । और उस ने उन्हें लेके नाली पार करवाया और अपना सब कुछ पार भेजा। २४ । चार यअकूब अकेला रह गया और वहां पौ फटे लेो एक जन उस्म मल्ल युद्ध करता रहा ॥ २५ । और जब उस ने देखा कि बुह उस पर प्रबल न हुआ तो उम की जांध को भीतर से छूआ तब ययकुब के जांध की नम उम के संग मन्त्र युद्ध करने में चढ़ गई ॥ २६ । तव बुह बोला कि मुझे जाने दे क्योंकि पौ फटती है वुह बोला कि मैं तुझे जाने न देऊंगा जब ले तू मुझे आशीष न देवे । २७ । तब उस ने उसे कहा कि तेरा नाम क्या बुह बोला कि यअकूब ॥ २८। तब उस ने कहा कि तेरा नाम आगे को यक्व न होगा परन्न इसराएल क्योंकि तू ने ईश्वर के और मनुष्य के आगे राजा की नाई मल्ल युद्द किया और जीता ।। २६ । नव यअकूब ने यह कहिके उससे पूछा कि अपना नाम बताइये वह वोला कि तू मेरा नाम क्यों पकता है और उस ने उसे वहां आशीष दिया ॥ ३० । और यअकब ने उस स्थान का नाम फनुएल रकला क्योंकि मैं ने ईश्वर को प्रत्यक्ष देखा और मेरा प्राण बचा है॥ ३१ । और जब बुह फनुएल से पार चला तो सूर्य की ज्योति उस पर पड़ी और बुह अपनी जांघ से लंगड़ाना था ॥ ३२ । इस लिये इमराएल के वंश उस जांध की नम को जो चढ़ गई थी पाजल नहीं खाते क्योंकि उस ने याकूब के जांघ को नम को जो चढ़ गई थी कूत्रा था । ३३ तेतीमा पर्च। पर यअकब ने आंखें ऊपर उठाई और क्या देखता है कि एसो और उम के साथ चार मो मनुष्य अाते हैं तय उम ने लियाह को और राखिन्न को और दो सहेलियों का लड़के वाले बाट दिये। और २॥