पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७६

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६ ६ उत्पति यअकब पाम फिर आके कहा कि हम आप के भाई एमा पाम गये और बुह और उम के साथ चार में मनुष्य आप की भेंट को भी आते हैं ७। तब यअकब निपट डर गया और व्याकुल हुधा और उस ने अपने साथ के लोगों और मुंडों और होरों और ऊंटों के दो जया किये ॥ ८। और कहा कि यदि एसौ एक जथा पर आने और उसे मारे नो दूसरा जथा जो बच रहा है भागेगा | | फिर यअकब ने कहा कि हे मेरे पिता अविरहाम के ईश्वर और मेरे पिता इज़हाक के ईश्वर वुह परमेश्पर जिम ने मुझे कहा कि अपने देश और अपने कुनबे में फिर जा और मैं तेरा भला करूंगा॥ १.। मैं तो उन सब दया और उन सब मन्यता से जो तू ने अपने नाम के संग किई तुच्छ हूँ क्योंकि मैं अपने डंडे से इस यरदन पार गया और अब में दो जथा बना हं॥ ९१ । मैं तेरी बिनती करता हूं मुझे मेरे भाई के हाथ अर्थात् एमा के हाथ से बचा ले क्योंकि मैं उस्म डरता न होवे कि बुह श्राके मुझे और लड़कों को माता समेत मार लेवे ॥ १२ । और न मे कहा कि मैं निश्चय तुझ से भलाई करूंगा और तेरे बंश को समुद्र के बालू की नाई बनाऊंगा जो बहुताई. के मारे गिना नहीं जायगा । १३ । और बुह उस रात वहीं टिका और जो उस के हाथ लगा अपने भाई एमो के भेट के लिये लिया ॥ १४। दो से बकरियां और बीस बकरे दो सो भेड़ें और बीस मेंहे ।। १५ । और नौस दूधवाली अंटिनियां उन के बच्चे समेत चालीम गाय और दस बैल बीस गहियां और दस बच्चे ॥ १६ । और उस ने उन्हें अपने सेवकों के हाथ हर जथा को अलग अलग मापा और अपने सेवकों को कहा कि मेरे आगे पार उतरो और जथा को जघा से अलग रकता। १७। और पहिले को उस ने कहा कि जब मेरा भाई एसौ तुझ मिले और पूछे कि तू किम का है और किधर जाता है और ये जो तेरे आगे हैं किम के हैं ॥ १८। तो कहियो कि अाप के सेवक यअब के हैं यह अपने प्रभु एमो के लिये भेट है और देखिये बुह आप भी हमारे पीछे है। ९४ । और वैसा उस ने दूसरे और तीसरे को और उन सब को जो जधा के पीछे जाते थे यह कहिके आज्ञा किई कि जब तुम एसैर को पारो तो इस रीति से कहियो॥ २.। और अधिक यह कहिया कि