पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७८४

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राजावली २. पब २० बीसवां पाई। हों दिनों में हिजकियाह को मृत्यु का रोग हुअा तब अमन का नव अमर कहता है कि त अपने घर का ठिकाना कर क्योकि त मर जायगा और न जीये गा॥ २। तब हिजकियाह ने अपना मंह मौत को और फेर के परमेश्वर से प्रार्थना करके कहा। ३। कि ई परमेश्वर में देरी विनती करता है कि दया करके अब मरण करिये कि मैं क्या कर सचाई और मिड मन से तेरे आगे चला किया और तेरी दृष्टि में मैं ने भलाई किई और हिजकियाह बिलख बिलख के रोया ॥ ४। और यों हुआ कि बमश्रियाह के आंगन के मध्य पहुंचने से धागे यह कहके परमेश्वर का बचन उस पर पहुंचा ॥ ५। कि फिर जा चौर मेरे लोगों के प्रधान हिज़कियाह को कह कि परमेश्वर तेरे पिता दाऊद का ईर या कहता है कि मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी है और मेरे अांमुत्रों को देखा है देख मैं तुझे तीसरे दिन चंगा करूंगा और तू परमेश्वर के मन्दिर में चढ़ जायगा। ६। और मैं तेरी बय पन्दरह बरस बढ़ ऊंगा और नझ और इस का अमर के राजा के हाथ से छुड़ाऊंगा और अपने लिय और अपने दास दाऊद के लिय इस नगर का श्राड करुगा । यसश्रियाह ने कहा कि गन्नर को एक टिकिया ले से। उन्होंने लिई और फोड़े पर रकही और बुह चंगा हो गया । ८। तब हिजाब याह ने यसश्रियाह से कहा कि उम का लक्षण क्या कि परमे पर मुझ चगा करेगा और मैं तीसरे दिन परमेश्रार के मन्दिर में चढ़ जाऊंगा। ।यनाअ- याह बाला कि परमेश्वर से त यह लक्षण पायेगा कि जो कुछ परमेश्वर ने कहा है से। करेगा कि छाया इस क्रम माग बढ़ अथवा इस काम पौछ १० । हिजकियाह ने उत्तर दिया कि छाया का दस क्रम देखना सहज है नहीं परन्तु काया दस क्रम पोछे इंट॥ १९ । तब यमांन्याह भविश्यदत्ता ने परमेश्वर से प्रार्थना किई और उस ने छाया को बाखज की धूप घड़ो में से जा ढल गई था दम क्रम पीछे हटाया ॥ १२। उस ममय बलदान के बेटे बाबल के राजा बरेदाक बलदान ने भेंट नगर ७.तब हरे।