पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/८०

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तुम लोग उत्पत्ति [३४ पर्व उस में रहा और व्यापार करो और दूम में अधिकार प्राप्त करो॥ ११॥ और सिकम ने उस के पिता और भाइयों से कहा कि तुम्हारी दृष्टि में में अनुयह पाऊं और जो कुछ तुम लोग मुझे कहोगे में देऊंगा॥ १२ ॥ जितना देजा और भेंट चाहा मैं तुम्हारे कहने के ममान देऊंगा पर लड़की को मुझे पत्नी में देयो। १३ । तब यकूब के बेटों ने सिकम और उस के पिना हमूर को छत से उत्तर दिया क्योंकि उस ने उन की वहिन होनः को अशुद्ध किया था । १४ । और कहा कि हम यह नहीं कर सक्त कि एक अखतनः को अपनी बहिन में क्योंकि इससे हमारी निन्दा होगी। १५ । केवल इस में हम तुम्हारी बात मानेंगे कि तुम में हर पुरुष हमसरीखा खतनः करावे ॥ १६ । तब हम अपनी बेटियां तुम्हें देंगे और तुम्हारी वेटियां लगे और हम तुम में निवास करेंगे और हम सब एक लेग होंगे। १७। परन्तु जो खतमः कराने में हमारी न सुनोगे तेर हम अपनी लड़की ले लेंगे और चले जायेंगे ॥ १८॥ और उन की बातें मिकम और उस के पिता हमूर को प्रसन्न हुई। १६ । और उस तरुण ने उस यात में अवेर न किया क्योंकि वह यत्रकूब की बेटी से प्रसन्न था और वुह अपने पिता के सारे घराने से अधिक कुलीन या । २०। और हमर और उसका बेटा सिकम अपने नगर के फाटक पर आये और उन्हों ने अपने नगर के लोगों से या बातचीत किई॥ २१। कि इन मनुष्यों से हम से मेल है से उन्हें इस देश में रहने दे और दूस में ब्यापार करें क्योंकि देखो यह देश उन के लिये बड़ा है सो आयो हम उनकी बेटियों को पत्नियों के लिये लेवें और अपनी बेटियां उन्हें दैवें ॥ २२ । परन्तु हमारे साथ रहने को और एक लोग होने को केवल इसी बात से मानेगे कि खतनः जैसा उन का किया गया है हम में हर पुरुष खतनः करावे॥ २३ । क्या उन के ढोर और उनकी संपत्ति और उन का हर एक चौपाया हमारा न होगा केवल हम उन की उस बान को मान लेवें और वे हम में निवास करेंगे। २१और सभा ने जो नगर के फाटक से आते जाते थे हमूर और उस के बेटे सिकम की बात को माना और उस के नगर के फाटक से मब जो बाहर जाते थे उन में से हर पुरुष ने खननः करवाया ॥ २५ । और तीसरे दिन जब ले वे