पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९४

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उत्पत्ति [४१ पर्च का पद फिर दिया और उस ने फिरकन के हाथ में कटोरा दिया । २२ । परन्तु उस ने यूसुफ के अर्थ करने के समान रसोइयों के प्रधान को फांसी दिई ॥ २३ । तथापि पियाज के प्रधान ने यूसुफ को सारण न किया परन्तु उसे भूल गया। ४१ एकतालीसवां पर्व । -फर दो बरम बीते यां हुआ कि फिरजन ने खप्न देखा और क्या देखता है कि आप नदी के तौर पर खड़ा ॥ । और क्या देखता है कि नदी से सात मुंदर और मोटी मोटी गायें निकली और घराव पर चरने लगी। ३। और क्या देखता है कि उन के पीछे और सात गायें कुरुप और डांगर नदी से निकली और नदी के तौर पर उन सात गायों के पास खड़ी हुई। ४ । और उन कुरुप और डांगर गायों ने उन सुंदर और मोटी सात गायों को खा लिया तब फिरजन जागा ॥ ५ । और फिर सो गया और दुहराके खप्न देखा कि अन्न से भरी हुई और अच्छी सात बालें एक डांठी में निकलौं॥ ६। और क्या देखता है कि और सात बालें छितरी और पुरत्री पवन से मुरझाई हुई उन के पीछे निकलीं। ७। और वे हितरी सात बालें उन अच्छी भरी हुई सात बालों को निगल गई और फिर जन जागा और क्या देखता है कि खन है।८। और बिहान काय हुआ कि उस का जीव व्याकुल मातब उस मे मित्र के सारे टॉनहीं और बुद्धिमानों को बुला भेजा और अपना खन उन से कहा परन्तु उन में से कोई फिरऊन के खप्न का अर्थ न कर । तब प्रधान पियाज ने फिरजन से कहा कि मेरा अपराध आज मुझे चेन अाता है॥ १.। फिरजम अपने दासों पर अद्ध था और मुझे और रसाइयों के प्रधान को बंदीगृह के पहरू के घर में बंद किया था ॥ ११ । और एकी रात हम ने अर्थात् मैं ने और उस ने एक एक खप्न देखा हम में से हर एक ने अपने सप्त के अर्थ समान खप्न देखा। १२। और एक बरानी तरुण पहरू के प्रधान का सेवक हमारे साथ था और हम ने उससे कहा और उस ने हमारे खन का अर्थ किया और उस ने हर एक के खन समान अर्थ किया ॥ १३। और जैसा उस ने हमारे सका।