पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९७

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जत्रा॥ ४ | और ४२ पर्च की पुस्तक के याजक निफर की बेटी अासनाथ को उसी व्याह दिया और यमुफ मिस देश में सर्वव फिरा ॥ ४६ । और जब यूसफ मिस्त्र के राजा फिरजन के आगे खड़ा हुआ तब बुह तीस बरस का था और यूसुफ फिरजन के आगे से निकलके मित्र के मारे देश में सर्वत्र फिरा॥ ४७ । और बढ़नी के सात बरसे में भूमि से मुट्ठी भर भर उत्पन्न ४८। तब उसने उन मात्र बरसे का सारा भोजन जो मिस्र देश में हुश्रा एक? किया और भोजन को नगरों में धर रक्खा हर नगर के पास पास के खेतों का अन्न इसी बस्ती में रकवा ॥ यूसुफ ने ममुद्र की बालू की नाई बहुत अन्न बरोरा यहां ले कि गिन्ना छोड़ दिया क्योंकि अगणित था ॥ ५ ० । और अकाल के बरसे से आगे यूसुफ के दो बेटे उत्पन्न हुए जो ओन के याजक फतीफर की बेटी आमनाथ उम के लिये जनी॥ ५१ । सो यूसुफ ने पहिले का नाम मुनरमी रकवा इस लिये कि उस ने कहा ईश्वर ने मेरा और मेरे पिता के वर का सब परिश्रम भुलाया ॥ ५२। और दूसरे का नाम इफरायम रकवा दूम लिय कि ईश्वर ने मुझे मेरे दुःख के देश में किया ॥ ५३ । और मिस देश के बढ़ती के सात बरस बीत गये ।। । ५४ । और यूसुफ के कहने के समान अकाल के सात बरस थाने लगे और सारे देशों में अकाल पड़ा परन्त मिस्र के मारे देश में अन्न था | ५.५ । पर जब कि मिस्र के सारे देश भूख से मरने लगे तो लोग रोटी के लिये फिरजन के आगे चिलाये तब फिरजन ने सारे मिस्त्रियों से कहा कि यूमुफ पास जागो और उम का कहा मानो॥ ५६ । और सारी भूमि पर अकाल था और यमफ ने खत्ते खेाल खान मिस्त्रियों के हाथ बचा और मिस के देश में कटिन अकाल पड़ा था॥ ५७। और सारे देशगण मिस्र में यम्फ से मोल लेने आये क्योंकि सारे देशों में बड़ा अकाल था। फलमान और ५२ बयालीसा पच्च। पर जब यअकब ने देखा कि मिस्र में अन्न है तब उम ने अपने बेटरों से कहा कि क्यों एक एक को ताकने हा॥ २। तब उस ने