पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उत्पत्ति [४२ पञ्चे कहा देखो मैं मनता हूं कि निस्त्र में अन्न है उधर जायो और वहां से हमारे लिये माल ले जिसने हम जीचे और न मरें ॥ ३ । सेा यूसुफ के दम भाई बन्न मोल लेने को मिल में आये। ४। पर यअकब ने यूमुफ के भाई विनयमीन को उस के भाइयों के साथ न भेजा क्योंकि उस ने कहा कहीं ऐसा न हो कि उस पर कुक विपत पड़े ॥ ५। और इसराएल के बेटे और आनेवालों के साथ मोल लेने आये क्योंकि कनान देश में अकान्न था॥ ६ । और यमुफ तो देश का अध्यक्ष था और वह देश के सारे लोगों के हाथ बेंचा करता था सो यसफ के भाई पाये और उन्होंने उस के आगे भनि सो प्रणाम किया। ७। और यूसुफ ने अपने भाइयों को देखके उन्हें पहिचाना पर उम ने आप को अन पहि- चान किया और उन से कठोरता से बोला और उस मे उन्हें पूछा कि तुम लोग कहां से श्राने हो और चे बोले अब लेने को कनशान देश से॥ । यूसुफ ने तो अपने भाइयों को पहिचाना पर उन्हों ने उसे न पहिचाना || । और बसफ ने उन के विषय के खप्नों को जो उस ने देखे ये स्मरण किया और उन्हें कहा कि देश की कुदशा देखने को भेदिये होकर आये हो॥ १ . । तब उन्हा ने उसे कहा नहीं मेरे प्रभु परन्तु आप के सेवक अन्न लेने आये हैं। ११ । हम सब एक ही जन के बेटे हैं हम सन्चे हैं आप के सेवक भेदिय नहीं हैं ॥ १२ । तब छह उन से बोला कि नहीं परन्तु देश की कुदशा देखने आये हो। १३। तब उन्हा ने कहा कि श्राप के सेवक बारह भाई कनान देश में एक ही जन के बेटे हैं और देखिये कटका आज के दिन हमारे पिता पास है और एक नहीं है ॥ १.४ । नव यू सफ ने उन्हें कहा सेाई जो मैं ने तुम्हें कहा कि तुम लोग भेदिये हो॥ १५ । इसौ से तुम जांचे जाग्रेग फिरजन के जीवन को किरिया जब लो तुम्हारा छोटा भाई न आवे तुम जाने न पाओगे ॥ १६ । अपना भाई. लाने को अपने में से एक को भेजा और तुम लोग बंदीगृह में रहेगे जिस तम्हारी बातें जांचौ जाय कि तुम सच्चे हो कि नहीं नहीं तो फिरजन के जीवन की किरिया 'तम लेग निश्चव भेदिये हो॥ १७ । फिर उस ने उन को तीन दिन ला बंधन में रकबा ॥ १८। और तीसरे दिन यू मुफ़ ने उन्हें कहा यां करके जीते रहा मैं ईश्वर से डरता हूँ।