पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
 

नवां अध्याय

पाखण्ड

पाखण्ड में सब से पहिला नम्बर मूर्त्ति पूजा का है। दो हजार वर्ष से भी अधिक काल से इस पाखण्ड ने मनुष्य जाति को बेवकूफ बनाया है। आज संसार भर की सभ्य जातियों ने मूर्त्ति पूजा को नष्ट कर दिया है। वह या तो कुछ जङ्गली जातियों में जो तातार के उजाड़ प्रदेश में हैं, अथवा अफ्रीका के असभ्य लोगो में या फिर अपने को सब से श्रेष्ठ समझने वाले हिन्दुओं में प्रचलित है। यहाँ हम संक्षेप से इस मूर्त्ति पूजा का इतिहास दिये देते हैं।

सब से प्रथम मैं दृढ़ता पूर्वक आप को यह बता देना चाहता हूँ कि प्राचीन काल के हिन्दुओं का कोई मन्दिर न था और वे मूर्त्ति की पूजा नहीं करते थे। वेद में मूर्त्ति पूजा का कोई विधान नहीं है। वेद में उन देवताओं का भी कोई जिक्र नहीं है,