बाबा भड्डरी और पत्रा देखकर शकुन मुहूर्त बताने वाले हैं। ये लोग प्रत्येक गाँव शहर और क़स्बों में मक्खी की औलाद की भाँति भिनभिनाते घूमते रहते हैं और अवसर पाते ही स्त्रियों और बेवकूफों को ठगा करते हैं।
मुहूर्त के लोग इतने क़ायल हैं कि बिना मुहूर्त पूछे वे कोई काम ही नहीं किया चाहते। ज्योंहीं आपने किसी जोशी बाबा को बुलाया कि वे पत्रा खोलकर गणित करने का पाखण्ड करेंगे, उँगलियों पर कुछ गिनती करेंगे, और फिर सिर हिलाकर धीरे धीरे गम्भीरता से ऐसी बातें बतायेंगे कि आप चक्कर और चिन्ता में पड़ जायँ। इसके बाद उपाय के बहाने आपसे वे ख़ूब ठग विद्या करेंगे।
एक बार ऐसा हुआ कि मैं एक क़स्बे में ठहरा हुआ था। पड़ौस में किसी के बच्चा हुआ था। एक ऐसा ही ठग वहाँ जा पहुँचा। अवश्य ही उसने सुराग लगा लिया था। वहाँ पहुँच कर उस ने गणित द्वारा बता दिया कि इस घर में कोई जीव जन्मा है। उस पर चौथा चन्द्रमा है। अभी किसी भड्डरी को अमुक अमुक वस्तु दान करदो—वरना ख़ैर नहीं। लोगों ने भयभीत होकर कहा—महाराज, आप ही यह दान ले लें—अब हम भड्डरी को यहाँ कहाँ पावेंगे। उसने कहा—नहीं, बाबा—यह दान जो लेगा उस पर आफत आवेगी, मैं नहीं ले सकता, तुम किसी और को ढूँढो। यह कह चला गया। गली के दूसरी छोर पर एक भड्डरी खड़ा देख कर घर वाले उसे बुला लाये