सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
(१६०)

और एक चांदी का सिक्का बांधकर जिधर जाना हो उस तरफ घर से दूर रख आता है। बस फिर ३ दिन तक उस दुपट्टे के साथ जाने में कोई ख़तरा नहीं रहता।

शकुनों का भी इन अवसरों पर अद्भुत प्रयोग होता है। एक बार कोटा के महाराज ज़ालिमसिंह उल्लू के बोल जाने पर महलों का निवास छोड़ कर खेतों में रहने चले गये थे। इसी प्रकार जयपुर नरेश ने मथुरा का प्रसिद्ध मन्दिर किसी अप शकुन के कारण ही अधूरा छोड़ दिया था। विद्यार्थी परीक्षा में जाने से प्रथम शकुन देखते हैं। वैद्य रोगी देखने के समय शकुन देखते हैं। चोर चोरी करने के समय शकुन देखते हैं। यह शकुन पशु पक्षियों की बोली, उनका दांयां बांयां होना व्यक्ति के सामने से होता है।

स्वप्न भी शकुनों से सम्बन्ध रखते हैं। रात को उल्लू का मकान पर आकर बोलना भारी अपशकुन समझा जाता है। एक बार एक वैद्यराज रोगी को देखने गये रास्ते में दाहिने तीतर बोला, आगे चले—ऊँट का पाँव उखड़ गया। ऊँट वाले ने कहा—महाराज ये शकुन तो अच्छे नहीं। परन्तु वैद्य जी रोगी को अच्छा कर ५०० रु॰ लेकर घर लौटे। घरसे चलती बार साग सब्ज़ी सामने आना शुभ शकुन है, पानी के घड़े मिलना शुभ शकुन है, खाली मिलना अशुभ है। रोटियाँ शुभ और आटा अशुभ है। दही शुभ और दूध घी अशुभ हैं। सुहागन शुभ और विधवा अशुभ है। भंगी शुभ है। सुनार का मिलना अशुभ है। एक बार हम सीकर गये थे। एक