पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
( ३६ )

उसके निकट के देशों को दैवी आश्चर्यों अर्थात् जादूगरनियों, जादूगरों, भूतों, राक्षसो, पंखदार राक्षसो, भयङ्कर रूप धारियो, पङ्घधार नरसिंहो और क्रूरकर्मा दैत्यो से भर दिया था। नीला आकाश स्वर्ग था, जहां जीऊस, देवताओ से घिरा हुआ—मनुष्यों की ही भांति सभा किया करता था।

जब यूनान में जागृति पैदा हुई। और उन्हें नवीन बस्तियां बसाने और भौगोलिक अन्वेषण के चाव उत्पन्न हुए। और उन्होंने कृष्ण सागर और भूमध्य सागर में खूब चक्कर काटे तब उन्हें पता लगा कि वे सारी अद्भुत आश्चर्य की कहानियां जो उनकी अति प्रतिष्ठित पुस्तक 'आडिसी' में वर्णित हैं, वास्तव में कुछ हैं ही नहीं। वे यह भी समझ गये कि आकाश वास्तव में एक धोखा है और वहां कोई भी देवता नहीं रहता। इस प्रकार प्रसिद्ध होमर के सब यूनानी देवता और हींसियड के डोरिक देवता ग़ायब होगये। प्रारम्भ में जिन्होंने साहस पूर्वक जनता में इस अन्ध विश्वास के विरुद्ध आवाज़ उठाई, उसका खूब कड़ा विरोध किया गया। उन्हें नास्तिक कहा गया और उनमें से अनेकों को प्राण दण्ड और देश निकाला मिला, और उनकी सम्पत्ति लूट ली गई। इस अन्ध धर्म विश्वास के नाश में यूनानी तत्त्ववेत्ताओं ने बहुत सहायता दी और कवियों ने उनका खूब करारा अनुमोदन किया। एथेंस में देवी देवताओं के अस्तित्व पर विचार करते करते कुछ ऐसे मनुष्य भी होगये जो संसार को भी मिथ्या और कल्पना मानते थे।

यूनानी लोग सदैव ही गृह युद्ध में लगे रहे। परन्तु जब