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पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/५५

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घोर संकट है, छाती में क़फ का रोग है, १३ तारीख़ तक बुरी दशा है। बचना कठिन है। उस कुसमाचार को संशोधन करके उन्होंने मुझे सुनाया कि उसे डबल निमोनिया हो गया है। विवश उन्हें विदा किया गया। वहाँ पहुँचकर उन्होंने खत लिखा—बच्चे को देखने की आशा न थी, भूखा प्यासा स्टेशन पर उतरा, पागल की भाँति तांगे में बैठकर घर पहुँचा, देखता क्या हूँ छोटे साहब माता की छाती से लगे दूध पी रहे हैं। देखते ही दोनों हाथ उठाकर हंस पड़े। अब दिलको तसल्ली हुई। चले आने का

अफसोस है।

कहिये! इस अन्ध विश्वास का और कुसंस्कार का भी कुछ ठिकाना है। सारी पृथ्वी की जातियों में एक से एक बढ़कर कुसंस्कार फैले हुये हैं। और विज्ञान अभी तक उन्हें दूर करने में बिल्कुल असमर्थ है।