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पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/६०

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मेरे विरुद्ध उनका कोप बढ़ता है। वे चाहे तो मुझे सिंहो के आगे फेके, चाहे क्रूस पर चढ़ावे, चाहे मेरे अंग को काटे, यदि मैं प्रभु के नाम पर आनन्दित हूँ तो उन पीड़ाओं से क्या होगा?'

रोम में पहुँचने पर वह लोगो के सामने ही अज़ायबघर के जंगली पशुओं के सामने डाला गया। जब उसने सिंहोको गर्जते हुए सुना तो कहा कि 'मैं प्रभु मसीह का फटका हुआ गेहूँ हूँ, जब तक जंगली पशुओं के दांत से न पीसा जाऊं तक तक रोटी न बनूंगा। सिंह ने झटपट उसे फाड़ डाला। उसके बाद उसकी थोड़ी सी हड्डियाँ जो बच रहीं वे अन्तैखिया मे गाड़ दी गई।

प्लूकार्प स्मूर्ना नगर का सन् १६७ में मण्डलाध्यक्ष था और योहन प्रेरित का शिष्य था। इसे ईसाई होने के अपराध में जीते जलाये जाने की आज्ञा हुई। तब इसकी उम्र ८० वर्ष की थी। लोगों ने दया करके उसे समझाया कि अपना विश्वास त्याग दो। तो उसने कहा कि 'मैंने चार कोड़ी छै वर्ष, प्रभु मसीह की सेवा की है, और उसने कभी मेरा अपराध नहीं किया तो जिसने मोल देकर मुझे निस्तार दिया है मैं क्योंकर उसका विश्वासघाती बनू।' जब वह इंधन के निकट खड़ा हो प्रार्थना कर चुका, तब आग सुलगाई गई। बड़ी २ लपटें उठी पर आश्चर्य था कि वह जला नहीं। पीछे वह तीर से वेधकर मारा गया और उसकी लोथ आग मे फेंक दी गई

ब्लादीना दासी बड़ी सुकुमार और दुर्बल थी। ईसाइयो को भय था कि वह कष्ट पाकर अवश्य विचलित हो जायगी। पर जब