पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/६४

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न चाहता था। उसने फिर उसे समझाया। बालक ने कहा—"शीघ्र अपनी तलवार का काम ख़तम कीजिये, मैं प्रभु के पास जाऊं। यह द्विविधा का जीवन मुझ से एक क्षण भी नहीं सहा जाता।"

जो लोग आस पास खड़े थे, रोने लगे। उसने सब से उत्साह-पूर्ण वाक्यों में कहा—"खेद है कि तुम नहीं जानते कि मैं कैसे सुन्दर नगर को जाता हूँ। इस बात को तुम जानते तो निश्चय आनन्द मानते।" इतना कह वह बड़े आनन्द से वधस्थल की ओर गया।

सन् १६४१ ईस्वी में आयरलैंड में जब ईसाई लोग पोप के धर्म को छोड़कर प्रोटेस्टेन्ट होने लगे तब पोप ने फतवा दे दिया था कि "तमाम आदमी जो प्रोटेस्टेन्ट हो गये हैं, मार डाले जावें।" उस घोषणा के आधार पर लगभग दो लाख ईसाई बड़ी निर्दयता से मार डाले गये थे। इस महावध की ख़बर सुनकर पोप ने आयरलैंड में एक बड़ा भारी उत्सव किया था।

ड्यूक आफ आलवा (Duke of Alwa) जो कि उस समय नैदरलैण्ड (Netherland) का गवर्नर था, उसने सहस्रों जल्लाद नौकर रख छोड़े थे जो प्रोटेस्टेन्टों को कत्ल किया करते थे। दो वर्ष के अन्दर उन्होंने ३६ हज़ार ईसाइयों को मार डाला था। जो गाँवों और वस्तियों में बच रहे थे उनपर अतिरिक्त टैक्स लगाकर यह अत्याचारी चार करोड़ रुपया प्रति वर्ष वसूल किया करता था। इसका पोप के दरबार में बड़ा आदर था।