पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
(६८)

हुआ तो खलीद ने घमण्ड से कहा—जाकर अपने बाप से कह कि इस्लाम धर्म स्वीकार करले वरना मैं उसका सिर काटने आ रहा हूँ और उसे छोड़ दिया।

इसके बाद खलीफा उमर ने अपने शासन काल की ग्यारह वर्ष की अवधि में शाम, मिश्र और बैलस्टाइन तथा ईरान को पूर्णतया फतह कर लिया था। इस खलीफा ने ३६ हजार नगर और क़िले काफिरों से छीने, ४० हज़ार गिर्जे और मन्दिर ढहाये और लगभग ८ लाख स्त्री बच्चे और पुरुष क़त्ल किये। इन में एक लाख पारसी थे। फारिस के बादशाह का एक डब्बा जवाहरात का सेना के हाथ लगा था जिसे खलीफा के हुक्म से बेच कर फौज में वांट दिया गया। यह डब्बा ३ लाख बीस करोड़ रुपये में बिका। उस समय ४० हज़ार सेना वहाँ थी, सब को अस्सी अस्सी हज़ार रुपये बाँट दिया गया। इसी खलीफा ने पृथ्वी का महान् नगर सिकन्दरिया और संसार का अद्भुत पुस्तकालय नष्ट किया। सिकन्दरिया की नीव बादशाह सिकन्दर ने डाली थी—वह नगर एशिया और योरोप के व्यापार का प्रमुख केन्द्र था।

इसके बाद उस्मान ख़लीफा हुये। उसने फारिस के मुल्क पर चढ़ाई बोल दी। वहाँ के बादशाह यज्दगुर्द की बावत खलीफ़ा उमर कह गये थे कि उसे ज़िन्दा न छोड़ना। इस ख़लीफा अनायास ही चार हज़ार वर्ष पुराने उस राज्यवंश और देश को सदा के लिये विध्वंस कर दिया। यह ११ वर्ष तक ख़लीफा रहा।