सेन वंशीय राजाओं के राज्योको विध्वंस कर दिया। बारह हज़ार बौद्ध साधुओ के सिर काट लिये और उनका अप्रतिम ग्रन्थागार भस्म कर दिया। उन्होंने अलतमश, के प्रसिद्ध मन्दिर को ढहा दिया और करोड़ो रुपये की सम्पदा लूट ली।
जलालुद्दीन फिरोज़शाह खिलजीने जैसलमेर पर आक्रमण किया। वहाँ का राजा मारा गया, नगर विध्वंस कर दिया गया और रानी को चौबीस हज़ार राजपूतानियों के साथ जल कर लाज बचानी पड़ी। उसका भतीजा अलाउद्दीन दक्षिण तक बढ़ गया और देवगढ़ के राजारामदेव यादव से विश्वासघात करके उसे मार डाला, राजभवन लूट दिया मन्दिर ढहा दिये और करोड़ों रुपये की सम्पदाएं छीन ली। इस के बाद जैसलमेर चित्तौर और गुजरात पर जिहाद की चढ़ाई की। जैसलमेर में सोलह हज़ार और चित्तौर में तेरह हजार स्त्रियां भस्म हो गईं। गुजरात के राजा की रानी और राजकुमारी अलाउद्दीन के हाथ लगी और उन्हे बलपूर्वक अपनी स्त्री बना लिया गया।
इस बादशाह ने हिन्दुओं की यह दुर्दशा कर रखी थी कि कोई हिन्दू सवारी के लिये घोड़ा न रख सकता था, न शस्त्र धारण कर सकता था, न बढ़िया कपड़े पहन सकता था, एक बार उमने काज़ी से पूंछा कि हिन्दुओ के लिये क्या कानूनी अधिकार हैं तो उस ने कहा:—
"हिन्दुओं का नाम खिराज़गुजार है, जब मुसलमान हाकिम उसमें चांदी मांगे तो उसे वे उन हाथ जोड़ कर हाकिम