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नाट्यसम्भव।

की इच्छा को मनहीमन दबा रक्खा था।

बलि। हमारे राजनीतिज्ञ दूत के लिए ऐना विचाना बहुतही उचित हुआ।

नमुचि । स्वामी के इस बड़प्पन देने से सचमुच हम आज , धन्य हुए।

बलि। अच्छा, अव यह बतलाओ कि स्वर्ग की क्या अवस्या है?

नमुचि। हमारे पक्ष में वहां की दशा बहुतही अच्छी और अनुकूल है। राजनीति के जिम जटिल मूत्र पर भरपूर विचार करके इन्द्राणी हरी गई, वह अब फल देने । योग्य होगया है।

बलि। (प्रसन्नता से) ऐसा ! तो वहां का वृत्तान्त स्पष्ट गति से कहा।

नमुचि । जो आज्ञा, मुनिए । वनिता के विरह में इन्द्र अव विल्कुल "नहीं" के बरावर हो रहा है, ऐसी अवस्था में उसके किए कुछ भी न होगा। तो जवकि राजा कीही यह शोचनीय दशा उपस्थित है, तव उसके अनुचरों की क्या लामर्थ्य, जो वे कुछ करधर सकेंगे! तात्पर्य यह कि यह अवसर स्वर्ग पर चढ़ाई करने और उसे बात की वात में विना परिश्रम लेलेने के लिए सब शांति अनुकूल और उपयुक्त है।

बलि। (प्रसन्नता नाट्य करता हुआ) आज इस ससम्वाद