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पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/१००

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नारी समस्या का समाज सहन नहीं कर सकता । पुराना साहित्य ही क्यों, हमारे आज के साहित्य की भी नारी के अँगों की नाप-जोख करने की ओर जितनी प्रवृत्ति है उतनी दूसरी ओर नहीं । ग्रीक और रोमन इतिहास की नारियों ने पुरुष-समाज की इस वृत्ति का उपयोग राष्ट्र के कल्याण के लिये किया जिसके फलस्वरूप इन देशों ने अमर योद्धाओं और साहसिक विजेताओं को जन्म दिया। इस देश में भी स्त्रिया पुरुषों को न केवल साहसिक कृत्यों के लिये उत्साहित करती रही हैं अपितु उनके साथ युद्धभूमि में अपने रणकौशल का एवं सभास्थानों में प्रकाण्ड . पाण्डित्य का परिचय देती रही हैं । किन्तु इधर मुसलमानों के आक्रमण बाद भारतीय नारी का जो पतन हुआ उसके आलंकारिक वर्णन से हमारा बहुत कुछ साहित्य कलंकित है । इसलिये आज की नारी का एक ओर ' राष्ट्रीय दासता की मुक्ति के लिये पुरुषों के कन्धे से कन्धा भिड़ाकर विदेशी सरकार से लड़ना है और दूसरी ओर अपने सामाजिक पाश काटने के लिये अपने 'जनम-मरन के साथी' पुरुष समाज से लड़ना है। इस कार्य के लिये उसे सर्वप्रथम स्वयं को तैयार करना होगा। अपने ही अस्त्र-शस्त्र भाजने पड़ेंगे, अपने ही घर में प्रविष्ट अपर, पक्ष के गुप्तचरों का शोधकर उनसे सावधान रहना होगा। सम्भव है, इस सब के लिये उसे बड़ा बलिदान करना पड़े किन्तु जीवित रहने के लिये यह सब करना ही पड़ेगा। यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिये कि उसके साथियों की संख्या नगण्य है । देश का अधिकांश महिला समाज बौद्धिक दृष्टि से सुषुप्त है । जो जागृत है उसमें से भी अधिकांश स्वार्थचिन्तना में विभोर है । उसकी निजी समस्यायें और सुख चिन्ता उसे इधर-उधर ताकने का अवकाश ही नहीं लेने देतीं । इसलिये आज की जाग्रत महिलाओं पर बहुत अधिक जिम्मेदारी है । उन्हें घर लड़ना है, बाहर लड़ना है और जिनके लिये लड़ना है उनसे भी लड़ना है । घर भी संभालना है और बाहर की भी देखरेख करनी है । बाल-विवाह, वृद्ध-विवाह, बहु-विवाह, नारी-अपहरण, पर्दा, सम्पत्ति में अनधिकारिता, विधवा समस्या, वैवाहिक परवशता, धार्मिक जड़ता और प्राचीन रूढ़िया, अशिक्षा, अस्पृश्यता आदि अनेकों ऐसी समस्यायें हैं जिनका समाधान यदि स्त्रिया चाहें तो शीघ्रता और सरलता से कर सकती हैं। जो कार्य वर्षों से लगातार प्लेटफार्मों पर होने वाले पुरुषों के लम्बे-लम्बे व्याख्यान और मोटी-मोटी जिल्दों के पोथे न कर सके वह थोड़ीसी कर्मठ साहसी स्त्रियों द्वारा किया जा सकता है । प्रति वर्ष खासी तादाद में महिला सम्मेलन होते हैं जिनमें स्त्रियों की समस्याओं तथा उनके समाधानों पर प्रकाश