पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/१२८

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नारी-समस्या ११२ सीमा तक सुलझ गई है और निकट भविष्य में सुलझती दिखाई पड़ रही है। फिर भी अनमेल विवाह की रफ्तार कब तक चलेगी, कह नहीं सकते । अनमेल विवाह शारीरिक और मानसिक दो प्रकार के होते हैं। बृढ़े के साथ युवती या बालिका बाँध दी जाय अथवा युवती के साथ बालक का विवाह कर दिया जाय, कुरूप वर के साथ सुन्दरी वधू या कुरूप वधू के साथ सुन्दर वर जोड़कर काक-हंस का गठबन्धन करने का प्रबन्ध किया जाय । पुरुष छै फीट का तो स्त्री तीन फीट की, या स्त्री पांच फीट लम्बी और पुरुष चार फीट का । स्त्री गाल-मटोल बोरे के समान स्थूल और पुरुष दुबला-पतला कार्टूनसा, यह सब शारीरिक बैपरीत्य है । मानसिक अनमेल इनसे भी अधिक घातक होता है । जैसे लड़का. ग्रेजुएट और लड़की अपढ़, इसी प्रकार लड़की ग्रेजुएट और लड़का अपढ़; लड़की अपटुडेट और लड़का लकीर का फकीर; लड़की नास्तिक और लड़का आस्तिक । कुछ ही लोग ईश्वर के आशीवाद से ऐसे होते हैं जो एक दूसरे के अनुकूल बनकर जीवन नैया को शान्ति और मधुरता से पार ले जाते हैं अन्यथा अनमेल ही प्रत्यक्ष दिखाई देता है । इस प्रकार अनमेल विवाह से जीवन भार बनाना आत्म-विनाश करना है । जीवन को श्रेष्ठता के लिये, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और सांसारिक सुख, आध्यात्मिक साधना, परोपकार और शुभ कर्मों के लिये उचित समय पर इच्छानुसार योग्य साथी के साथ विवाह होना आवश्यक है। जीवन में पति-पत्नी के रूप में योग्य साथी मिलने पर कितनी अद्भुत तृप्ति हेाती है ! कैसा अनुपम सुख मिलता है ! मनुष्य जीवन को सार्थक समझ लेता है । अन्यथा सारा जीवन बेकार या किसी दूसरी दिशा में जा गिरता है। डाक्टरों का कहना है कि २०, २५ वर्ष की अवस्था तक युवक और युवतियों का विवाह हो जाना चाहिये । नहीं तो स्वास्थ्य में गड़बड़ी होने का डर रहता है । स्त्रियों की तो प्रजनन शक्ति भी कमजोर पड़ जाती है। भारतीय नीतिशास्त्रों ने भी वेद-वेदांग शिक्षा समाप्त होने के साथ ही विवाह का समय बताया है। आज कुछ पाश्चात्य विचारों से प्रभावित लोग विवाह का एक व्यर्थ बन्धन और उन्नति का बाधक मानने लगे हैं। उनकी दृष्टि में इसका मूल्य अधिक नहीं है । अतः विवाह भी एक जटिल समस्या बनता जा रहा है । उन्हें विवाह व्यवस्था के विषय में भ्रभ है । उनके विचार से विवाह मानों स्वतन्त्रता का नष्ट करनेवाला तथा उसकी प्रगति के मार्ग का रोड़ा है। इससे व्यक्तित्व कुचल जाता है। इसके द्वारा स्त्रिया दासी बनाकर रखी