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स्त्रियों पर दोषारोपण
 

ज्ञान के प्रति श्रद्धा तथा आदर का भाव रहा है। मंदिरों में जाकर अथवा घर पर बुलाकर वे पंडितों, कथावाचकों तथा अन्य ब्राह्मणों से बड़ी श्रद्धा-भक्ति के साथ कथा, भागवत सुनती हैं और बदले में उन्हें वस्त्र, बरतन, रुपये, गहने और दूसरी मूल्यवान वस्तुएं भेंट चढ़ाती हैं।

आज का पुरुष समाज स्त्री-शिक्षा का बड़ा हिमायती है और उस पर काफी ज़ोर देता है इसलिये वह धन्यवाद का पात्र है। फिर भी वह निस्वार्थभाव से मातृ-सेवा करता हो, ऐसी बात नहीं है। उसे अब मूर्ख दासिया पसन्द नहीं। जिस तरह बीमार पड़ने पर लोग साधारण नौकरानी से सेवा कराने के बजाय शिक्षिता नर्स से सेवा कराना अधिक पसन्द करते हैं और इसे वे लाभकारक भी समझते हैं इसी प्रकार अपने मनोरंजन के लिये ही अशिक्षित पत्नियों के स्थान पर शिक्षित पत्नियाँ पसन्द की जाती हैं। मामूली नौकर को दूकान पर न रखकर पढ़े-लिखे होशियार मुनीम को रखना अधिक लाभदायक समझा जाता है। बिना पढ़े-लिखे नौकर के भरोसे यदि दूकान छोड़ दी जाय तो न कोई काम ही ढंग से हो सकेगा और न कमाई ही; प्रत्युत पूरे धन्धे में गड़बड़ होने का डर रहेगा। ठीक यही बात गृह-संचालन के विषय में कही जा सकती है। घरेलू उद्योग-धन्धों के लिये भी एक होशियार नौकर चाहिये; क्योंकि गृह-कार्य तथा सन्तान-पालन में भी तो बहुत चतुराई की आवश्यकता होती है। अब इस कार्य को, जिसे सदियों से अयोग्य स्त्री करती आई है, अधिक योग्य हाथों में सौंपने का प्रयत्न किया जा रहा है। यह कोई स्त्रियों पर उपकार हो रहा हो, मातृ-जाति की बड़ी भारी सेवा हो रही हो, सो बात नहीं है। यह तो मशीन को और डीसेंट बनाने का प्रयत्न और 'एक पंथ दो काज' वाली बात है। एक ओर तो इससे समाज-सेवी कहलाते हैं, स्त्री-सुधारक बनते हैं और दूसरी ओर एक योग्य सेविका भी पा जाते हैं।

मेरा यह आशय नहीं है कि स्त्रियाँ गृह-कार्य अथवा सन्तान-पालन जैसे पवित्र काम न करें। उनके हिस्से जो काम आ जाये उसे चतुराई से, ईमानदारी से, ईश्वर के प्रीत्यर्थ करना चाहिये; किन्तु क्या सेवा, गृह-कार्य और सन्तान-पालन स्त्री ही कर सकती है? मैंने कितने ही पुरुषों को देखा है जो इन कार्यों को स्त्रियों से भी अधिक योग्यतापूर्वक कर सकते हैं और कितनी ही स्त्रियों को देखा है जो जजमेंट, राजकीय परामर्श, वकालत, बैरिस्टरी, डाक्टरी, खेती, मैनेजरी तथा मशीनरी आदि का काम करने में पुरुषों से कम नहीं। अपनी रुचि के अनुसार स्त्री और पुरुष सभी तरह के कामों पर अधिकार रख सकते हैं।