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पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/५०

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नारी समस्या उसी प्रकार पुरुषों में अधिक पढ़ी स्त्री का । किन्तु स्त्री कभी अपने से अधिक पढ़े हुए, और अधिक अवलमन्द पुरुष से नहीं डरती । वह हमेशा अपने से अधिक योग्य पुरुष को ही पसन्द करती है और उस पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है। पुरुषों के विचार भी स्त्रियों के प्रति इतने साफ और समुज्वल होने चाहिये । स्त्री यह नहीं सोचती कि पुरुष हम से अधिक विद्वान होगा तो वह हमारी कदर नहीं करेगा अथवा बात- बात पर हमारा अपमान करेगा, हालाँकि पुरुष करता है वैसा ही । और तभी तो वह स्त्री के अधिक विद्वान होने से डरता है । आज जो बरताव स्त्री कम पढ़ी-लिखी पाकर उसके साथ हम करते हैं वही फिर वह हमारे साथ करेगी । बात बात में वह हमें दबा लेगी । क्या यह हीनभावना. नहीं है ? उन्नत विचारों के लोग ऐसे विचार कभी नहीं रखते । वे दूसरे के उत्कर्ष से डरते नहीं, बल्कि दूसरे को आगे बढ़ते देखकर उनसे प्रेरणा पाते हैं और अपनी शक्ति को बढ़ाने लगते हैं । स्त्री-सुधार के कार्य के आगे बढ़ने के साथ-साथ पुरुष को भी अपनी संयम शक्ति को, जो पश्चिमी चकाचौंध में खो-सी गई है, उन्नत करते जाना जरूरी है । स्त्रिया इस लिये न चहार-दीवारी के भीतर बन्द की गई हैं कि पुरुषों की स्वेच्छाचारिता पर परदा पड़ा रहे ? किन्तु यह ठीक नहीं । जिस प्रकार फोड़ा शरीर के भीतर ही भीतर सड़कर रोगी को मृत्यु के मुँह में ढकेल देता है, उसी प्रकार यह घृणित-वृत्ति समाज को दिन-दिन चाटे जा रही है । स्त्रिया यूँघट इसलिये काढ़ती हैं कि उन्हें लोग देख न सकें । पर्दे में छिपी हुई वस्तु जितनी आकर्षक और लुभावनी लगती है, उतनी अच्छी होने पर भी पास में पड़ी हुई नहीं लगती इसलिये लोग उस ओर अधिक देखने की चेष्टा करते हैं । परदे में रहने से स्त्रिया संसार की हलचलों से अपरिचित भी रहती हैं । उनके सामयिक ज्ञान की वृद्धि के आगे यह असामयिक परदा मैजिना लाइन बनकर खड़ा है । किन्तु वर्तमान में जीवन- संघर्ष इतना बढ़ गया है कि मैजिना लाइन के भरोसे बैठे रहना और संसार के विकास से अपने को अपरिचित रखना मानों अपना गला अपने हाथों घोंटना है । आज घर में छुपकर रहने का समय नहीं है । जो देश गुलाम हो, उसके वासियों के लिये संसार में इज्जत कहाँ है ? गुलाम अपनी बहू-बेटियों को परदे में छिपाकर इज्जत की पाग बाँधे बैठे रहते हैं । समझ लेते हैं कि इसी में हमारी इज्जत की इतिश्री है। पर इज्जत कहते किसे हैं ? इज्जत की व्याख्या क्या है ? इस पर कभी नहीं सोचते। धन में इज्जत नहीं है । धन तो राक्षसों