पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४३ महिलायें और नौकरी सामाजिक नियमों में कुछ गड़बड़ी होने लगे परन्तु एक बार ऐसा होना जरूरी है । कभी-कभी सुधार के लिये किसी चीज़ को बिगाड़ना भी पड़ता है । हमारे देश की स्त्रिया स्वतन्त्र होने पर भी ऐसा कार्य कभी नहीं कर सकतीं जो उनकी सदियों से आती हुई महानता और त्याग को कलंकित करे । भारत की स्त्रियों का त्याग और प्रेम प्रसिद्ध है। उन्होंने प्रेम और त्याग से अपना नाम अमर बना लिया है। संसार के इतिहास में उनका प्रेम आदर्श माना गया है परन्तु पुरुष समाज ने उसका बदला अपमान, धोखेबाजी और लाठियों से दिया है। उन्होंने पवित्र प्रेम को एक बाज़ारू चीज़ समझा है । वे समझते हैं कि स्त्रिया हमारे घर के काम, हमारी सेवा और हम से प्रेम करने के सिवा और कर ही क्या सकती हैं ? बात भी ठीक है, पुरुषों ने सचमुच उन्हें ऐसा ही बना रखा है । स्त्रिया हमारी दासता से मुक्त न हो जायँ इस डर से शास्त्रों द्वारा धार्मिक कथाओं के रूप में उनको उपदेश दिलाये गये । स्त्रिया श्रद्धापूर्वक उन नियमों को सुनती हैं और उनका पालन भी करती हैं परन्तु क्या पुरुष समाज भी अपने बनाये नियमों का पालन करता है ? अधिकारी लोगों की बात तभी सुनी जाती है जब वे भी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं । जब वे अपने कर्तव्य से गिर जाते हैं तब नीचे के लोग भी अपने कर्त्तव्य पालन में शिथिल होने लगते हैं। यही हालत स्त्रियों की है । कोई यह सब कहाँ तक कर सकता है ? यदि इतना प्रेम, इतनी सेवा, ईश्वर की की जाती तो आज न जाने क्या फल मिलता ? हमारे शास्त्रों में तो लिखा है कि स्त्री के लिये उसका पति ही ईश्वर है और स्त्रियों ने अपने पति को ईश्वर रूप माना भी, परन्तु उसका फल उन्हें अपमान के रूप में मिला। अब स्त्रिया कुछ-कुछ समझने लगी हैं । उन्हें मालूम हो गया है कि जब तक वे अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जाती तब तक पुरुष समाज उनको इज्जत नहीं करेगा । यदि स्त्रिया समझे कि पुरुष समाज सुधर रहा है और उन्हें अपने अधिकार मिल जायेंगे तो यह उनकी गैरसमझी होगी। यदि हमें भूख लगी है तो हमें अपने हाथ से खाना होगा । दूसरे को क्या मालूम कि हमें भूख लगी है और मालूम भी हो तो वह हमें क्यों खिलाने लगा ? अधिक से अधिक कोई यह कह देगा कि तुम को खाना सीखना चाहिये जैसा कि आजकल के सुधारक कहा करते हैं । स्त्रियों को चाहिये कि वे अपने अधिकारों को समझे और अपनी रक्षा के लिये शक्ति पैदा करें । दूसरों की दया पर मिले हुए अधिकार कितने दिन टिक सकेंगे ? दान जिस प्रकार कोई दे सकता है उसी