पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/१५३

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सच्ची वीरता ११३ उसे खुद गरम और सर्द होने से क्या मतलब ? कारलायल को जो आजकल की सभ्यता पर गुस्मा आया तो दुनिया में एक नई शक्ति और एक नई जबान पैदा हुई। काग्लायल अँग- रेज जरूर है: पर उसकी बोली सबसे निराली है। उसके शब्द मानों आग की चिनगारियाँ हैं जो आदमी के दिलों में आग मी लगा देती है। सब कुछ बदल जाय मगर कारलायल की गरमी कभी कम न होगी। यदि हजार वर्ष संसार में दुखड़े और दर्द रोए जाय तो भी बुद्धि की शांत और दिल की ठंढक एक दर्जा भी इधर-उधर न होगी । यहाँ प्राकर भौतिक विज्ञान के नियम रो देते हैं। हजारों वर्ष आग जलती रहे तो भी थर्मामीटर जैसा का तैसा ही रहेगा। बाबर के सिपाहियों ने और लोगों के साथ गुरु नानक को भा बेगार में पकड़ लिया। उनके सिर पर बोझ रखा और कहा "चला ।" आप चल पड़े। दौड़. धूप, बोझ, मुसीबत, बेगार में पकड़ी हुइ स्त्रियों का रोना, शरीफ लोगों का दु:ख, गाँव के गाँव का जलना सब किस्म की दुखदाई बातें हो रही हैं। मगर किसी का कुछ असर नहीं हुआ। गुरु नानक ने अपने साथी मर्दाना से कहा-“सारंगी बजाओ, हम गाते हैं। उस भीड़ में सारंगी बज रही है और आप गा रहे हैं । वाह री शांति ! अगर कोई छोटा सा बच्चा नेपोलियन के कंधे पर चढ़कर उसके सिर के बाल खींचे तो क्या नेपोलियन इसका अपनी बेइज्जती समझकर उस बालक का जमीन पर पटक देगा, ८