पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/१५४

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११४ निबंध-रत्नावली जिममें लोग उसका बड़ा वीर कहें ? इमी तरह सच्चे वीर जब उनके वाल दुनिया को चिड़ियाँ नोचती हैं, तब कुछ परवा नहीं करते । क्योंकि उनका जीवन आमपासवालों के जीवन से निहायत ही बढ़-चढ़कर ऊँचा और बलवान होता है। भला ऐसी बातों पर वीर कब हिलत हैं। जब उनकी मौज आई तभी मैदान उनके हाथ है। जापान के एक छोटे से गाँव की एक झोपड़ी में छोटे कद का एक जापानी रहता था। उसका नाम आशियो था । यह पुरुष बड़ा अनुभवी और ज्ञानी था। बड़े कड़े मिजाज का, स्थिर, धीर और अपने खयालात के समुद्र में डूबा रहने- वाला पुरुष था। आसपास रहनेवाले लोगों के लड़के इस साधु के पास आया-जाया करते थे और यह उनको मुफ्त पढ़ाया करता था। जो कुछ मिल जाता वही खा लता था। दुनिया की व्यवहारिक दृष्टि से वह एक किस्म का निखट्टू था । क्योंकि इस पुरुष ने संसार का कोई बड़ा काम नहीं किया था। उसकी सारी उम्र शांति और सत्त्वगुण में गुजर गई थी । लोग समझते थे कि वह एक मामूली आदमी है। एक दफा इत्तिफाक से दो-तीन फसलों के न होने से इस फकीर के आसपास के मुल्क में दुर्भिक्ष पड़ गया। दुर्भिक्ष बड़ा भयानक था। लोग बड़े दुखी हुए। लाचार होकर इस नंगे, कंगाल फकीर के पास मदद माँगने आए। उसके दिल में कुछ खयाल हुआ । उनकी मदद करने का वह तैयार हो गया।