पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/१९५

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की धारा मजदूरी और प्रेम १५५ बात हुई । इसलिए मजदूरी और फकीरी का अन्योन्याश्रय संबंध है। मजदूरी करना जीवनयात्रा का आध्यात्मिक नियम है। जोन ऑव आर्क ( Joan of Arc ) की फकीरी और भेड़े चराना, टाल्सटाय का त्याग और जूते गाँठना, उमर खैयाम का प्रसन्नता- पूर्वक तंबू मीते फिरना, खलीफा उमर का अपने रगमहलों में चटाई आ द बुनना, ब्रह्मज्ञानी कबीरं और रैदास का शूद होना, गुरु नानक और भगवान् श्रीकृष्ण का मूक पशुओं को लाठो लेकर हाँकना-सच्चो फकीरी का अनमोल भूषण है । समाज का पालन करनेवाली एक दिन गुरु नानक यात्रा करते करते भाई लालो नाम के एक बढ़ई के घर ठहरे । उस गाँव का भागो नामक रईस बड़ा मालदार था । उस दिन भागो के घर ब्रह्मभोज था। दूर दूर से साधु आए हुए थे। गुरु नानक का आगमन सुन. कर भागो ने उन्हें भी निमंत्रण भेजा । गुरु ने भागो का अन्न खाने से इनकार कर दिया । इस बात पर भागो को बड़ा क्रोध आया । उसने गुरु नानक को बल पूर्वक पकड़ मँगाया और उनसे पूछा-आप मेरे यहाँ का अन्न क्यों नहीं ग्रहण करते ? गुरुदेव ने उत्तर दिया-भागो, अपने घर का हलवा- पूरी ले आओ तो हम इसका कारण बतला दें । वह हलवा- पूरी लाया तो गुरु नानक ने लालो के घर से भी उसके मोटे अन्न की रोटी मँगवाई। भागो की हलवा-पूरी उन्होंने एक