पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/२०

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(. १६ ) जाती हैं और वह वास्तविक सुखमय जीवन प्राप्त करने में समर्थ होता है । 'बुद्ध का काँटा' तो और भी मनोरंजक दृश्य उपस्थित करता है। एक नवयुवक विद्याध्ययन में लगा हुआ है, उसे संसार का कुछ भी अनुभव नहीं है । वह लोटे में फंदा डालकर कुएँ से पानी खींचने में असफल होता है। गांव की स्त्रियों के बीच में पड़ जाने सं वह सिर उठाकर बात भी नहीं कर सकता। ज्यों ज्यों उसका सांसारिक अनुभव बढ़ता जाता है, और उसका अल्हड़पन दूर होता जाना और वह संसार का ज्ञान प्राप्त करता जाता है । परोक्ष रोति से आधुनिक शिक्षा की त्रुटियं का दिग्दर्शन भी कराया गया है। भागवंती की वाक्पटुता देखकर स्कॉट की 'कीन मेरी' का म्मरण हो जाता है। उसने कहा था' तो गन महायुद्ध में सिक्खों की वीरता, धीरता, दृढ़ता और कर्तव्यपरायणता का बड़ा ही मनोरम दृश्य उपस्थित करती है। ये तीनों कहानियाँ हिंदी-साहित्य के अमूल्य रत्न हैं। इनकी बड़ी विशेषता यह है कि इनमें भिन्न भिन्न पात्रों की भावभंगी अपनी अपनी परिस्थिति के अनुसार बड़ी सुंदर और अनुकूल भाषा में प्रदर्शित की गई है, जिससे कहानियों में सजीवता की पुट बड़ी ही सुन्दर चढ़ गई है । गुलेरीजी की लेखनी में बल था । वे हिंदी में हास, उपहास, व्यंग्य, करुण आदि भावों का ऐसा बढ़िया चित्र उपस्थित करते थे कि उन्हें पढ़कर मन मुग्ध हो जाता है। उनकी मीठी चुटकियां तो हृदय को चुभ जानेवाली होती हैं। "