पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/८

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( ४ ) हुमा। हम काल के निबंध-लेखकों में से तीन प्रमुख लेखकों के पांच-पांच निबंध-रत्नों का संग्रह करके इस रत्नमाला में गुंफित किया जाता है । वे हैं-पंडित माधवप्रसाद मिश्र, सरदार पूर्णसिंह और पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी । संताप की बात है कि ये तीनों अल्पकाल तक हिंदी की सेवा कर और उसके भांडार को गौरवान्वित बनाकर स्वर्ग सिधार गए । हम यहाँ पर इन तीनों महाशयों का जीवनचरित संक्षेप में देते हैं- ( १ ) पंडित माधवप्रसाद मिश्र के पितामह पंडित जयराम- दास पंजाब प्रदेश के हिसार जिले में भिवानी के समीप कूँगड़ ग्राम के रहनेवाले थे। इनके पुत्र पंडित रामजीदासजी हुए। पिता और पुत्र दोनों ही संस्कृत के प्रख्यात विद्वान् थे। इरियाना प्रांत और कुरुक्षेत्र में सनके पांडित्य की विशेष प्रतिष्ठा थी। रामजीदास के दो पुत्र हुए-एक पंडित माधवप्रसाद और दूसरे पंडित राधाकृष्ण । पंडित माधवप्रसाद का जन्म दूंगड़ ग्राम में संवत् १९२८ के भाद्रमास की शुक्ला त्रयोदशी को हुआ। भिवानी के एक क्षमताशाली मारवाड़ी महोदय के विशेष आग्रह से पंडित जयरामदास भिवानी में बस गए थे, पर कूँगड़ ग्राम से उनका संबंध न छूटा। पंडित माधवप्रसाद ने प्रारंभ में शिक्षा अपने पिता से ही पाई। वे पढ़ने-लिखने में बड़े तेज थे पर साथ ही बालसुलभ उत्पातों की भी उनमें कमी न थी । इनकी दादी भी पढ़ी लिखी और हरिभक्ति-परायण साध्वी स्त्री थी । उनके चरित्र का प्रभाव