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पृष्ठ:निबन्ध-नवनीत.djvu/१०५

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• "यस कि लेता है हर महीने कर्ज,

और रहती है सूद की तकरार,

मेरी तनखाह में तिहाई का,

हो गया है शरीफ साहूकार।

तो भी धन्यवाद हे कि नितिहरों और लालों से फिर भी पाबूजी पावू तो कहाते हैं। हा, प्रोइत, पाधा, पडा और गया बात इत्यादि की दशा कुछ अच्छी कह सकते थे, क्योंकि उन्हें घेमेहनत घर बैठे लक्ष्मी भाती है, और हमारी उपर्युक्त लोकोक्ति भी यो ठीक होती है फि-

"उत्तम भिक्षा वृत्ति है, फिरि घाई जान,
अधम चनिज वैपार है, ऐती योटि निदान"।

पर नहीं, जय यह विचार होता है कि कृषक, व्यापारी भथया सेवकों की यही गति रही तो कहा से किसी को कुछ दे सकेंगे। बस, अब हमारा यह सिद्धान्त सत्य होने में फिसी को कुछ सन्देर न होगा कि जितना दरिद्र मुसलमानों के सातसी वर्ष के प्रचएड शासन द्वारा न फैला था, उतना, घरच उससे अत्यधिक, इस नीतिमय राज्य में विस्तृत है। अब यतलायो, पाठकगण । इनकमटैक्स का फोपस्थ अर्थ ठीक है या नहीं? नहीं, इसका अर्थ यो न लगेगा।

अग्रेजी व्याकरण पोलो, उसमें लिया है कि "इन "न" और "डिसा किसी शब्द के प्रथम जोड दो तो उसाटा अर्ध हो जाता है | Direct हाइगे-पीघा, Indirect इनसाइरेह-जो सोधान हो, Known नोनशात, Unknow अननोन अज्ञात, Mount माउन्ट-चदना, डिसमाउन्ट-उतरना, इस रीति से त इन, अर्थात् नहीं है, come कम-शाना.