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पृष्ठ:निबन्ध-नवनीत.djvu/१५८

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दिखाके विचारे आर्य चालकों से कहा था-'यह तुम्हारे देवता है। भला ऐसे २ अनर्थ देख सुनके किसको मिशन- स्कूलों की शिक्षा से घृणा न होगी १ महा अभागी वह नगर है जहा मिशन स्कूलों के सिवा दूसरा स्कूल न हो। हम अपने कानपुर की इस विषय में प्रशसा करते है कि जहां पालकों की शिक्षा मिशन ही पर निर्भर नहीं है। लोग गवर्नमेन्ट स्कूल और जुविली स्कूल के छत अपने सन्तान को हिन्दु धर्म का अश्रद्धालु बनावें तो दूसरी बात है, पर सुभीता परमेश्वर ने दे रक्या है कि धर्म में भी पाधा न डालो, और राजभाषा भी पढ़ा लो।

हमारी समझ में हर शहर के लोगों को चाहिए कि अपने २ यहा कमसे कम एक पाठशाला पेसी अवश्य स्थापित फरें जिसमें केवल हिन्दू-मुसलमानों का अधिकार रहे, और अन्य शिक्षा के साथ धर्म तथा नीति मी सिगाई जाय। इससे क्रिश्चियानिटी की प्रत्यक्ष भाग का रहा सहा प्राबल्य भी जाता हेगा। पर एक दयी हुई आग अभी ऐसी पडी है जिस पर कोई ध्यान नहीं देता । अभी उसका धुझाना सहज है, नहीं तो पीछे बडी भारी हानि फरेगी । स्कूलों में धनुधा स्याने लडके भेजे जाते हैं और यहां की आग भी धधकती हुई है। इससे इतना उर नहीं है, पर महाजनी पढानेवाले भैया जी के यहां सदा बहुत ही छोटे लडके पढते हे पहा ईसाइयों का घुसना फिसो सरह ठीक नहीं। सड़के तो लउके हो रहे, बहुधा गुरुजी वय नहीं जानते कि इन महापुरुषों से क्या हानि संभव है। ईसाई साप पहा बिन रोक टोक कह सकते हैं कि 'खडका तो लडका मास्टरन के उडाई ला' खां उन्होंने यह लीला फैष्म रक्षी हे कि प्रायः सय 1