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पृष्ठ:निबन्ध-नवनीत.djvu/६१

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पावें नाली में गिरी हुई कौडी को दांत से उठानेवाले मपसी- चूसों की हिजो किया चाहें तो भी लिखते २ थक जाय । हाथी दांत से क्या २ वस्तु बन सकती हैं ? कलों के पहियो में कितने दात होते है ? और क्या २ काम देते हैं ? गणित में कोडी २ के एक २ दात तक का हिसाय कैसे लग जाता है ? वैद्यक ओर धर्मशास्त्र में दतधावन की क्या विधि है, पया फसा है, क्या निषेध है, क्या हानि है ? पद्धतिकारों ने 'दीर्घ दताकचिन्मूर्जा' आदि क्यों लिखा ? किस २ जानवर के दात किस २ प्रयोजन से किस २ रूप, गुण से विशिष्ट बनाए गए हैं ? मनुष्यों के दांत उजले, पीले, नीले, छोटे, मोटे, लम्बे, चौडे, घने, खुडहे के रीति के होते हैं ? इत्यादि, अनेक पाते हैं, जिनका विचार करने में बडा विस्तार चाहिए । बरच यह भी कहना ठीक है कि यह पडी २विद्याओं के घडे २ विषय लोहे के चने हैं, दर किसी के दातों घटने के नहीं। तिसपर भी अकेला श्रादमी क्या २ लिखे ?

अत हम इस दंतकथा को केवल इतने उपदेश पर समाप्त करते हैं कि आज हमारे देश के दिन गिरे हुए है, अत हमें योग्य है कि जैसे पचिस दातों के बीच जीभ रहती है वैसे रहें, और अपने देश की भलाई के लिए किसी के आगे दातों में तिनका दवाने तक में लजित न हो, तथा यह भी ध्यान रखे कि हर दुनियादार को पात विश्वाम-योग्य नहीं है। हाथी के दांत खाने के और होते हैं, दिखाने के और।क्षेणी: निबन्ध- नवनीत