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अङ्क २]
[दृश्य १
न्याय

लौटता हो? या फिर उसे एक बार समय देना चाहिए कि सुबह का खोया हुआ शाम को भी लौट आता है, या नहीं? मैं आप लोगों से अर्ज़ करता हूँ कि उस नौजवान की जिन्दगी को बरबाद न कीजिए। यह सारी बरबादी उन्हीं चार मिन्टों का फल है। घोर सर्वनाश उसकी ओर मुंह खोले खड़ा है। अभी यह बच सकता है। आज आप उसे अपराधी की तरह सज़ा दे दीजिए और मैं आप से कह देता हूँ कि वह हमेशा के लिए हाथ से निकल जायगा। न तो उसका चेहरा और न उसका रंग ढंग यह कह सकता है कि वह उस अग्नि-परीक्षा से बच निकलेगा, उसके अपराध को एक पलड़े में तौलिए और दूसरे पर उसके उन कष्टों को तौलिए जो वह पा चुका है। आपको मालूम होगा कि कष्टों का पलड़ा दस गुना अधिक भारी हो गया। दो महीने से वह हवालात में सड़ रहा है। क्या सम्भव है वह इसे भूल जायगा? इस दो महीने में उसके हृदय को जो दुःख हुआ होगा उसे सोचिए। आप यकीन रखिए कि उसकी सज़ा काफी हो गई। न्याय की भीषण चक्की इसको तभी से पीसने लगी है जब से इसका गिरफ़्तार होना तय हो चुका था। यह उसकी सजा की

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