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अङ्क २]
[दृश्य १
न्याय

ठहरायेंगे। उसके मन की दशा के विषय में जो शहादते हैं, उनपर विचार करते समय आप बहुत होशियारी से जालसाज़ी के पहिले और पीछे मुलज़िम के रंग ढंग और चाल ढाल पर ध्यान रखें। खुद मुलज़िम की, उस औरत की, कोकसन की, और केशियर की शहादतों से क्या सिद्ध होता है? इस विषय में मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि मुलज़िम ने कबूल किया है कि टी वाई और सिफ़र (ty and the nought) को जोड़ने की बात चेक हाथ में आते ही उसके मन में आ गई थी। मुसन्ने के बदलने के बाद उसका आचरण कैसा था इसे भी ध्यान में रखिए। इन सब बातों का पूर्वनिश्चय के प्रश्न से जो सम्बन्ध है वह खुला हुआ है। और पूर्वनिश्चय स्वस्थ दशा में ही हो सकता है। उसकी उम्र और चित्त की चञ्चलता इत्यादि बातों पर विचार करके आपको उसके साथ रियायत करने की जरूरत नहीं। आप यदि उसे उस दोषी के साथ पागल निर्णय करें, तो यह सोच देखें कि वह पागलपन उसका उस लायक था या नहीं कि उस वक्त वह पागलख़ाने भेज दिया जाता।