पृष्ठ:न्याय.pdf/१९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अङ्क ३]
[दृश्य २
न्याय

ओक्लियरी

और दो महीने से हो क्या रहा है?

दारोग़ा

कोई शिकायत है?

ओक्लियरी

नहीं, हुज़ूर।

दारोग़ा

तुम पुराने आदमी हो, तुम्हें सोच समझ कर काम करना चाहिए।

ओक्लियरी

यह सब तो सुन चुका हूँ।

दारोग़ा

तुम्हारे बादवाले कमरे में एक लौंडा है, वह घबड़ा जायगा।

१९०