पृष्ठ:न्याय.pdf/२०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अङ्क ३]
[दृश्य २
न्याय

[डाक्टर के भीतर जाते ही दारोग़ा दरवाज़े को भेड़ देता है, फिर खिड़की की ओर जाता है।]

वुडर

[उनके पीछे-पीछे चलकर]

बड़े दुःख की बात है कि आपको इन सभों के पीछे इतना कष्ट उठाना पड़ता है। मगर सब आदमी सुखी हैं।

दारोग़ा

क्या तुम ऐसा सोचते हो?

वुडर

हाँ, साहब, केवल "बड़े दिन" के कारण सब ज़रा बेचैन हो उठे हैं!

दारोग़ा

[अपने ही आप]

अजीब बात है।

१९९