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अङ्क २]
[दृश्य १
न्याय

कि ऐसी अवस्थाओं में पड़कर उसने अपने उद्धार की सारी आशाएँ उसपर छोड़ दीं। क्योंकि इस युवक के हृदय में उसने जो भाव उत्पन्न किए थे, उससे वह अपरिचित न थी। इस विपत्ति से बचने के लिए, उसे इसके सिवा और कोई मार्ग दिखाई न दिया कि किसी दूर देश में जाकर, जहाँ उन्हें कोई न पहिचाने, वे पति पत्नि की तरह रहें। बस यही उनका अंतिम और, जैसा निस्संदेह मेरे मित्र मिस्टर क्लेवर कहेंगे, अविचार पूर्ण निर्णय था। परन्तु यह सच्ची बात है कि दोनों का मन इसीपर तुला हुआ था। एक अपराध से बचने के लिए दूसरा अपराध करना अच्छी बात नहीं। और जिनके लिए ऐसी अवस्था में पड़ने की संभावना नहीं है, वे शायद मेरी बातों पर चौंक उठेंगे। परंतु मैं उनका उत्तर देना नहीं चाहता, महोदय, चाहे आप इनके इस कार्य को किसी भी दृष्टि से देखें, चाहे इस दशा में पड़कर इन दोनों को क़ानून के हाथ में ले लेना आपको उचित मालूम हो या अनुचित पर बात यह अवश्य ठीक है। आफ़त की मारी हुई यह बेचारी औरत और उसको जान से चाहने वाला यह अभियुक्त जो बालक से कुछ ही अधिक उम्न का होगा, इन दोनों ने

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