पृष्ठ:पंचतन्त्र.pdf/१०४

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दक्षिण देश के एक प्रान्त में महिलारोप्य नाम का एक नगर था। वहाँ एक विशाल वटवृक्ष की शाखाओं पर लघुपतनक नाम का कौवा रहता था। एक दिन वह अपने आहार की चिन्ता में शहर की ओर चला ही था कि उसने देखा कि एक काले रंग, फटे पाँव और बिखरे बालों वाला यमदूत की तरह भयंकर व्याध उधर ही चला आ रहा है। कौवे को वृक्ष पर रहने वाले अन्य पक्षियों की भी चिन्ता थी। उन्हें व्याध के चंगुल से बचाने के लिए वह पीछे लौट पड़ा और वहाँ सब पक्षियों को सावधान कर दिया कि जब यह व्याध वृक्ष के पास भूमि पर अनाज के दाने बखेरे, तब कोई भी पक्षी उन्हें चुगने के लालच से न जाय, उन दानों को कालकूट की तरह ज़हरीला समझे।

कौवा अभी यह कह ही रहा था कि व्याध ने वटवृक्ष के नीचे आकर दाने बखेर दिये और स्वयं दूर जाकर झाड़ी के पीछे

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