पृष्ठ:पंचतन्त्र.pdf/१९४

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  क बड़ी झील के तट पर सब ऋतुओं में मीठे फल देने वाला जामुन का वृक्ष था। उस वृक्ष पर रक्तमुख नाम का बन्दर रहता था। एक दिन झील से निकल कर एक मगरमच्छ उस वृक्ष के नीचे आ गया। बन्दर ने उसे जामुन के वृक्ष से फल तोड़कर खिलाये। दोनों में मैत्री हो गई। मगरमच्छ जब भी वहाँ आता, बन्दर उसे अतिथि मानकर उसका सत्कार करता था। मगरमच्छ भी जामुन खाकर बन्दर से मीठी-मीठी बातें करता। इसी तरह दोनों की मैत्री गहरी होती गई। मगरमच्छ कुछ जामुनें वहीं खा लेता था, कुछ अपनी पत्नी के लिये अपने साथ घर ले जाता था।

एक दिन मगर-पत्नी ने पूछा—"नाथ! इतने मीठे फल तुम कहाँ से और कैसे ले आते हो?"

मगर ने उत्तर दिया—"झील के किनारे मेरा एक मित्र बन्दर रहता है। वही मुझे ये फल देता है।"

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