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९.

घमंड का सिर नीचा

सतां वचनमादिष्टं मदेन न करोति यः।
स विनाशमवाप्नोति घंटोष्ट्र इव सत्त्वरम्॥


सज्जन की सलाह न मानने वाला और दूसरों
से विशेष बनने करने का यत्न करने वाला मारा

जाता है

एक गांव में उज्वलक नाम का बढ़ई रहता था। वह बहुत ग़रीब था। ग़रीबी से तंग आकर वह गांव छोड़कर दूसरे गांव के लिये चल पड़ा। रास्ते में घना जंगल पड़ता था। वहां उसने देखा कि एक ऊँटनी प्रसवपीड़ा से तड़फड़ा रही है। ऊँटनी ने जब बच्चा दिया तो वह ऊँट के बच्चे और ऊँटनी को लेकर अपने घर आ गया। वहां घर के बाहर ऊँटनी को खूंटी से बांधकर वह उसके खाने के लियें पत्तों भरी शाखायें काटने वन में गया। ऊँटनी ने हरी-हरी कोमल कोंपले खाईं। बहुत दिन इसी तरह हरे-हरे पत्ते खाकर ऊंटनी स्वस्थ और पुष्ट हो गई। ऊँट का बच्चा भी

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