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२२२] | [पञ्चतन्त्र |
आया तो उस पर झपट कर उसे मार दिया।
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बन्दर ने कहा, "तभी मैंने कहा था कि सज्जनों की बात अनसुनी करके जो अपनी ही करता है वह विनाश को निमंत्रण देता है।"
मगरमच्छ बोला—"तभी तो मैं तुझसे पूछता हूँ। तू सज्जन है, साधु है; किन्तु सच्चा साधु तो वही है जो अपकार करने वालों के साथ भी साधुता करे, कृतघ्नों को भी सच्ची राह दिखलाये। उपकारियों के साथ तो सभी साधु होते हैं।"
यह सुनकर बन्दर ने कहा—"तब मैं तुझे यही उपदेश देता हूँ कि तू जाकर उस मगर से, जिसने तेरे घर पर अनुचित अधिकार कर लिया है, युद्ध कर। नीति कहती है कि शत्रु बली है तो भेद-नीति से, नीच है तो दाम से, और समशक्ति है तो पराक्रम से उस पर विजय पाये।"
मगर ने पूछा—"यह कैसे?"
तब, बन्दर ने गीदड़-शेर और बाघ की यह कहानी सुनाई—