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५.
एकबुद्धि की कथा


एक व्यवहार बुद्धि सौ अव्यावहारिक

बुद्धियों से अच्छी है।

एक तालाब में दो मछलियाँ रहती थीं। एक थी शतबुद्धि (सौ बुद्धियों वाली), दूसरी थी सहस्रबुद्धि (हज़ार बुद्धियों वाली)। उसी तालाब में एक मेंढक भी रहता था। उसका नाम था एकबुद्धि। उसके पास एक ही बुद्धि थी। इसलिये उसे बुद्धि पर अभिमान नहीं था। शतबुद्धि और सहस्रबुद्धि को अपनी चतुराई पर बड़ा अभिमान था।

एक दिन सन्ध्या समय तीनों तालाब के किनारे बात-चीत कर रहे थे। उसी समय उन्होंने देखा कि कुछ मछियारे हाथों में जाल लेकर वहाँ आये। उनके जाल में बहुत सी मछलियाँ फँस कर तड़प रही थीं। तालाब के किनारे आकर मछियारे आपस में बात करने लगे। एक ने कहा—

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