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हँसाई हुई और तीनों भूखे भी रहे।

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व्यवहार-बुद्धि के बिना पंडित भी मूर्ख ही रहते हैं। व्यवहार बुद्धि भी एक ही होती है। सैंकड़ों बुद्धियाँ रखने वाला सदा डांवाडोल रहता है। उसकी वही दशा होती है जो शतबुद्धि और सहस्रबुद्धि मछली की हुई थी। मंडूक के पास एक ही बुद्धि थी—इसलिये वह बच गया।

चक्रधर ने पूछा—"यह कैसे हुआ?"

स्वर्णसिद्धि ने तब यह कथा सुनाई—