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तो दैव का संयोग है। अन्धे, कुबड़े और विकृत शरीर व्यक्ति भी संयोग से जन्म लेते हैं, उनके साथ भी न्याय होता है। उनके उद्धार का भी समय आता है।"

एक राजा के घर विकृत कन्या हुई थी। दरबारियों ने राजा से निवेदन किया कि—"महाराज! ब्राह्मणों को बुलाकर इसके उद्धार का प्रश्न कीजिये।" मनुष्य को सदा जिज्ञासु रहना चाहिये, और प्रश्न पूछते रहना चाहिये। एक बार राक्षसेन्द्र के पंजे में पड़ा हुआ ब्राह्मण केवल प्रश्न के बल पर छूट गया था। प्रश्न की बड़ी महिमा है।

राजा ने पूछा पूछा—"यह कैसे?"

तब दरबारियों ने निम्न कथा सुनाई—