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११.

जिज्ञासु बनो

"पृच्छकेन सदा भाग्यं पुरुषेण विजानता"

मनुष्य को सदा प्रश्नशील, जिज्ञासु रहना चाहिये

एक जङ्गल में चंडकर्मा नाम का राक्षस रहता था। जङ्गल में घूमते-घूमते उसके हाथ एक दिन एक ब्राह्मण आ गया।

वह राक्षस ब्राह्मण के कन्धे पर बैठ गया। ब्राह्मण के प्रश्न करने पर वह बोला—"ब्राह्मण! मैंने व्रत लिया हुआ है। गीले पैरों से मैं ज़मीन को नहीं छू सकता। इसीलिए तेरे कन्धों पर बैठा हूँ।"

थोड़ी दूर पर जलाशय था। जलाशय में स्नान के लिये जाते हुए राक्षस ने ब्राह्मण को सावधान कर दिया कि—"जब तक मैं स्नान करता हूँ, तू यहीं बैठकर मेरी प्रतीक्षा कर।" राक्षस की इच्छा थी कि वह स्नान के बाद ब्राह्मण का वध करके उसे खा जायगा। ब्राह्मण को भी इसका सन्देह हो गया था। अतः ब्राहाण अवसर पाकर वहाँ से भाग निकला। उसे मालूम हो चुका था कि राक्षस

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