APPENDIX II. Citations in sc. identified from Sva y am bhū's Epics 1. Said to be Caumuhassa: हउँ अज्जुणु तुम्हए उरणु। Sc. IV 3a. कुरु पच्चारिउ अज्जुणे ण, ते तुम्हई सो हउँ एउ रणु। रखहाँ सीसु जयद्दहहों, लइ घरहु सव्व मई एक्कु खणु॥ RC. 67 11 Ghatta ". गअविन्धइ, जमु सिद्धई. परसमाणु जसु अप्पओ। पहु एक्कहो तहलोक्कहो, सोज्ज देव परमप्पओ|| sc. v 5. इय चिन्धई पर-समाणु जसु अप्पउ। गह-चक्कहीं तडलोकहाँ सोजे देउ परमप्पउ॥ PC. 3 3 11. जसु मि द्वई 3. कहवि सहिरई, णहरई, थणसिहरोपरि सुपउत्ताई॥ वेग्गे वलग्गहो मअणतुरंगहो. णं पइ छुइछडदुरवत्ताई। SC. V 9. कहें विस-रुहिरई दिट्ठई णहरई यण-सिहरोवरि सु-पहुत्तई। वेगेण वलग्गहो मयण-तुरङगहो णं पाय छुडुछुडु खत्तई ॥ PC. 14 79. णवफग्गुणे गिरिसिहगेवरि फुल्लपलासु ॥ को डढ्ढ़ मे. को ण डढ्ढ़ जोअइव हुआसु ॥ SC. VI 24. कत्थइ अङगारय-संकासउ रेहइ तम्विरु फुल्ल-पलासउ॥ णं दावाणलु आउ गवेसउ को महुँ दड्दु ण दड्डु पएसउ ॥ PC. 71 1 1-2 फग्गुणे फुल्लगलासु जिह, लविखज्जइ गिरिवरे। Pc. 80 11 Ghatta b.
- . ध (ह)णुमत्त रणे परिवेद्विज्जइ णिसिअरहिं ।।
णं गअणे बालदिवाअरु जलहरहिं ।। SC. VI 42. परिवेढिज्जइ णिसियरे हिं। णं गयणयले वाल-दिवायरु जलह हिं॥ PC. 65 1. हगुवन्तु रणे भाइविओअए तिह निह दुक्वेण भाड-विओएं निह तिह दुक्खेंण जिह जिह करइ विहीसणु सोओ रुअइ सह विवह वाणर-लोओ|| sc. VI 71. जिह जिह करइ विहीसणु सोउ । म्वड म-हरि-वल-वाणर-लोउ || PC. 71 1. मुरवरतासअरु, गवण दटु जासु जग कंपइ॥ अंणुकहिं मग्गई चुक्कड पवणो सिहि जंपइ | Sc. VI 74. सुरवर-डामरु, रावणु दड्ड जासु जगु कम्पइ । अण्णु कहि मह, चुक्कड' एव णाई सिहि जम्पद | Pc. 77 13 13. वाआला फरुमा विन्धणा गुणेहि विमुक्का पाणहरा ।। जिह दुज्जणु सज्जणउरि, तिह पसरुण लहन्ति सरा || Sc. VI 50. दुम्मुह सलोह वण्णुज्जला, विन्धण-सीला पाणहरा। गुण-मक्का धम्म-विवज्जिय. तो वि मोक्त्व पावन्ति सरा || RC. 64 11 Ghatta