पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१८७

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18 PAUNADARIO 158 करीxxx हुँ। 9 2 Sa. 153 कस्याऽसि दुहिता वाले। 7 159a. 154 बोमविन्दु निवा। 154 व्योमविन्दोरहे सुता । कैकसीति भवत्सेवा हउँ तासु धूप xxxकहकसि णामेंxx॥ कतुं पित्रा निरूपिता ॥ 7162 गुल्वमहिमाणिय एड वणु। तट दिग्णी ॥ 946-6 155 अाणणिमित्त जाणऍण, 155 ततोऽष्टानिमित्तशःxx रजश्रवाः पुषह रयणासवराणऍण ॥ 932 xxx व्यवृणोत् । 7 185 VP. अट्टानिमित्तधरोxx नेमित्तिभो ॥780 156 होसन्ति पुत्त तउ तिण्णि । 93 3a, 156 उत्पत्स्यन्ते त्रयः पुत्राः। 7 186a. VP.हहिन्ति तिणि पुत्ता। 7 81a. 1.57 जो परिपालिलाइ पण्णऍहिँ। 9 4 3a. 157 नागेन्द्रकृतरक्षेण । 7 219a. VP. नागसहस्सेणं चिय जो सो रक्खिबह । 795. 158 बहमुहु दहसिक जणेण किउ । 94 9b. 158 यातोऽसौ तदशाननसं ताम्। 7 222b. VP. कयं दहमुहो नाम । 796. 159 आणन्दें कहि मि ण माइयई। 9 5 2b. 159 VP. न मायइ नियगेसु अग्रेसु। 7 154. 160 परिचिन्तिउ णड सामण्णु णरु।95 5a. 160 महानेष नरः कोऽपि भवितेति म्यचिन्तयत्। 7 2186. VP. चिन्तेइ तो मणेणं होहिइ एसो महापुरिसो। 794. 161 णहें जन्तठ पेक्खेंवि वइसवणु, 161 (a) वैश्रवणं वीक्ष्याचक्रे । 7233b. पुणुपुरिछय जणणि 'एहुकवणु'19 5 8b. (b)xx पप्रच्छेति स मातरम् । 7 234. (c) अम्ब कोऽयम् ॥ 7 235a. 162 (8) तं णिसुर्णेवि xx बजरिउ । 162 ततः साऽकथयत्तस्य मातृखनीय एष ते XX1961 7 236a. (b) इहु भाइ तुहारड वइसवणु। 963b. 163कमागय। 964b. 163 कुल कमायाताम् । 7 238a 164 कइयहुँ माणेसहुँ राय-सिय । 9 6 50. 164 लक्ष्मी कदा तु त्वं प्राप्स्यसि ॥ 7 24la. 165 गय विणि वि भीसणु भीम-घणु।97 1b. 165 (a) प्राप्त xx भीमं नाम महावनम् । 7 257a. (b) सुभीषणम् । 7 259b. 166 जा णीसापन्तेहि भययरेंहि, 166 मुप्ताजगरनिःश्वासप्रेलितोदारपादपैः । डोल्लन्ति मल सहुँ तरुवरहैिं। 9 7 8a. 7 2580 167 जानटुक्खोहि पसिद्धि गय । 97 6a. 167 विद्याश्चाष्टाक्षरी। 7 264a. 168 सम्ब-कामण्ण-रूय। 97 6b. 168 सर्वकामासदा । 7 2646. VP. सम्वकामा। 7 107b, 169 पुणु माइप सोलह-मक्खरिय, 169 ततो जपितुमारब्धाः मुचिताः षोडषाक्षरम् । जय (१) कोरि-सहास-बहोत्तरिय ॥ मन्त्र-कोटि-सहस्राणि यथावृत्तिर्दशोदिताः 7266 VP. अविऊण समाढता विजा विहु सोलसार निबद्धा। दह-कारि-सहस्साई जीसे मन्तान परिवारो॥ 7 108.